धर्म का अपने सम्मान सदा तुम करो। त्यौहारों का भी | हिंदी शायरी

"धर्म का अपने सम्मान सदा तुम करो। त्यौहारों का भी रसपान सदा तुम करो। स्नान करके तन,मन से पुण्य की गंगा में , आज़ संक्रांति में दान सदा तुम करों। ©Er.आयुषी गुप्ता ©ayushigupta"

 धर्म का अपने सम्मान सदा तुम करो। 
त्यौहारों का भी रसपान सदा तुम करो। 

 स्नान करके तन,मन से पुण्य की गंगा में , 
  आज़ संक्रांति में दान सदा तुम करों। 
    ©Er.आयुषी गुप्ता

©ayushigupta

धर्म का अपने सम्मान सदा तुम करो। त्यौहारों का भी रसपान सदा तुम करो। स्नान करके तन,मन से पुण्य की गंगा में , आज़ संक्रांति में दान सदा तुम करों। ©Er.आयुषी गुप्ता ©ayushigupta

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