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स्त्री के बगैर
पुरुष की जिंदगी
बेकार है.
उसे हमेशा एक स्त्री का साथ चाहिए.
फिर वो चाहे मन्दिर हो या संसार.
मंदिर में कृष्ण के साथ --> राधा
राम के साथ --> सीता
शंकर के साथ --> पार्वती
सुबह से रात तक मनुष्य को
अपने हर काम में
एक स्त्री की
आवश्यकता होती ही है.
पढ़ते समय --> विद्या
फिर -> लक्ष्मी
और अंत में --> शाँति
दिन की शुरुआत
ऊषा के साथ,
दिन की समाप्ति --> संध्या से होती
है.
किन्तु काम तो -> अन्नपूर्णा के
लिये ही करना है।
©Rakesh India
#आदमी#ओर#ओरत का किरदार