तेरी -मेरी बातें तुम मेरे जीवन में आये ले कर शाम सुहानी
उस दिन मुझे लगा लिख देंगे हम एक नयी कहानी
किन्तु न जाने कितने ही पल शांतिपूर्ण से बीते
अपने अपने सपनों में खोये हम दोनों ही थे
मधुर मधुर मुस्कान बिखेरे पलकों में सरमाते
लेकिन मन की कोई बात ही नहीं दोनों कर पाते
कुछ कहने कुछ सुनने की अभिलाषा तो थी मन में
किन्तु न जाने कहां से बरखा आगयी नील गगन में
अकस्मात ही लगी बरसने रिमझिम बरखा रानी
मैं बोला रह गई अधूरी अपनी प्रेम कहानी
वचन दो कि अब नहीं रुकेंगी अपनी ये मुलाकातें
आज नहीं तो कल करनी हैं तेरी मेरी बातें ।
©bhishma pratap singh