White मैं,पहाड़ और देवदार
जब पहाड़ों की ऊँचाइयों में,
बसे हैं देवदार के पेड़,
तब मन को छू जाती है वहाँ,
कुछ अनूठी कहानियों की गर्मी।
इन देवदारों के बीच में,
बसे हैं एक खामोशी की मिठास,
प्रकृति की भव्यता के साथ,
जो हर मन को मोह लेती है अपनी जादुई सी बात।
पहाड़ों के शीर्ष पर,
बसा है सारा जहां,
वहाँ का मन करता है,
बस रहूँ इस खूबसूरती में दिन रात।
पहाड़ों और देवदारों की यह मिलनसारी,
हमें याद दिलाती है,
कि प्रकृति है हमारी सच्ची मित्र,
जिससे हमें सबकुछ सीखने को मिलता है बिना शब्दों के ही।
सुनहरी किरनें छान रहीं हैं पहाड़ों के चेहरे,
देवदार की छाया ले रही है सभी को आहेर।
प्रकृति की यह अनोखी सिमटी हुई छावनी,
सपनों की दुनिया में बसी है जैसे कोई कहानी।
धरा की गोद में लिपटा यह प्यारा सा साथ,
है देवदार और पहाड़ का नित सुखद संग्राम।
जब जीवन की गहराईयों में खो जाए मन,
तब पहाड़ों और देवदारों की याद दिलाए कोई भी गान
जब सूर्य की किरणें छू रहीं हैं पहाड़ों की चोटियों को,
और देवदार की खुशबू भरी हवा फैलाए खुशबू।
प्रकृति की यह अनुपम सुंदरता,
हर मन को मोह लेती है अपनी दिव्यता।
धरती की गोद में लिपटा हुआ,
पहाड़ों का सजीव वातावरण भरा है नया सपनों का मनोरम सफर।
जब जीवन की भीड़भाड़ से थक जाए मन,
तो पहाड़ों और देवदारों की चादर ओढ़कर मिले सुकून की धार।
जब पहाड़ों की चोटियों पर सजती है सुबह की पहली किरण,
और देवदार की सुगंध से महक उठता है वहाँ का वातावरण।
प्राकृतिक सौंदर्य में लिपटा यह सुखद संगम,
है पहाड़ों और देवदार का साथ बेहद अनुपम।
धरती के गोद में बसी यह निर्मलता,
हमें सिखाती है जीने की कला की सरलता।
जब जीवन की भीड़भाड़ से हो जाए मन उदास,
तो पहाड़ों और देवदारों की याद दिलाए सुखद सांझ की मिठास।
©रोहन बिष्ट
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