तेरे तकरार की हम शुरुआत हैं तू पल है, हम याद हैं | हिंदी Shayari

"तेरे तकरार की हम शुरुआत हैं तू पल है, हम याद हैं कभी ना भर पाओगे नए से हम वही पुरानी बात हैं। तू दूर है, हम साथ हैं तेरे महफ़िल के हम जज़्बात हैं कभी ना रौशन होने वाली हम वही अंधेरी रात हैं तू शह है, हम मात हैं तू डाल है, हम पात हैं तू धूप की मध्यम छाया है हम वही भीगी बरसात हैं। तू ख़्वाब है, हम रात हैं तेरे यादों के हम ख्यालात हैं तू भीनी–भीनी सी आज है हम "काल" वाले आपात हैं। तू वरदान, हम खैरात हैं तू "हैसियत" है ,हम "औकात" हैं तेरे गुनाहों के अकेले हम अकेले ही तहकीकात हैं। तू भेंट है, हम सौगात हैं तू वक्त, हम हालात हैं तू जख्म लेके भी खुश है हमे दुख है– हम घात हैं... तेरे किन्हीं गुनाहों की बस हम एक फ़रियाद हैं हां, कभी ना भर पाओगे नए से हम...वही पुरानी बात हैं ... सूरज ©Suraj Agarwal"

 तेरे तकरार की हम शुरुआत हैं
तू पल है, हम याद हैं 
कभी ना भर पाओगे नए से
हम वही पुरानी बात हैं।

तू दूर है, हम साथ हैं
तेरे महफ़िल के हम जज़्बात हैं
कभी ना रौशन होने वाली
हम वही अंधेरी रात हैं

तू शह है, हम मात हैं
तू डाल है, हम पात हैं
तू धूप की मध्यम छाया है
हम वही भीगी बरसात हैं।

तू ख़्वाब है, हम रात हैं
तेरे यादों के हम ख्यालात हैं
तू भीनी–भीनी सी आज है
हम "काल" वाले आपात हैं।

तू वरदान, हम खैरात हैं
तू "हैसियत" है ,हम "औकात" हैं
तेरे गुनाहों के अकेले
हम अकेले ही तहकीकात हैं।

तू भेंट है, हम सौगात हैं
तू वक्त, हम हालात हैं
तू जख्म लेके भी खुश है
हमे दुख है– हम घात हैं...

तेरे किन्हीं गुनाहों की
बस हम एक फ़रियाद हैं
हां, कभी ना भर पाओगे नए से
हम...वही पुरानी बात हैं
...
सूरज

©Suraj Agarwal

तेरे तकरार की हम शुरुआत हैं तू पल है, हम याद हैं कभी ना भर पाओगे नए से हम वही पुरानी बात हैं। तू दूर है, हम साथ हैं तेरे महफ़िल के हम जज़्बात हैं कभी ना रौशन होने वाली हम वही अंधेरी रात हैं तू शह है, हम मात हैं तू डाल है, हम पात हैं तू धूप की मध्यम छाया है हम वही भीगी बरसात हैं। तू ख़्वाब है, हम रात हैं तेरे यादों के हम ख्यालात हैं तू भीनी–भीनी सी आज है हम "काल" वाले आपात हैं। तू वरदान, हम खैरात हैं तू "हैसियत" है ,हम "औकात" हैं तेरे गुनाहों के अकेले हम अकेले ही तहकीकात हैं। तू भेंट है, हम सौगात हैं तू वक्त, हम हालात हैं तू जख्म लेके भी खुश है हमे दुख है– हम घात हैं... तेरे किन्हीं गुनाहों की बस हम एक फ़रियाद हैं हां, कभी ना भर पाओगे नए से हम...वही पुरानी बात हैं ... सूरज ©Suraj Agarwal

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