kuch kaash mere bhi
काश ऐसा होता मैं उस दिन वहां गया ही ना होता.
काश वह दिन साल के उस कैलेंडर में आया ही ना होता, तो शायद हमारी मुलाकात भी ना होती.
काश मैंने उस दिन तेरे उस क्यूटसे एक्सप्रेशन पर ध्यान दिया ही ना होता. काश मुझे ना तू ना तुझसे हुई मेरी पहली मुलाकात याद होती है.
काश मैंने तेरी जो सोच थी उसको नजरअंदाज किया ही ना होता.
काश मैंने मेरे सोकल फ्रेंड्स की बात सुन ली होती.
काश मैं भी औरों की तरह लोगों को उनके रंग, रूप, जात या मजहब के तराजू में तौल पाता.
काश मेरी सारी गलतियां सिर्फ मेरी गलतियां और तेरी स