रह रह के बदलते हैं दिन रात नए चोले अंदर से बड़े जाल | हिंदी शायरी

"रह रह के बदलते हैं दिन रात नए चोले अंदर से बड़े जालिम बाहर से बड़े भोले"

 रह रह के बदलते हैं दिन रात नए चोले
अंदर से बड़े जालिम बाहर से बड़े भोले

रह रह के बदलते हैं दिन रात नए चोले अंदर से बड़े जालिम बाहर से बड़े भोले

@deepshi bhadauria @Gita @Kushbu Gadiya 💖impressive kudi 💖 Taruna~Sharma💖 Pratibha Tiwari(smile)🙂

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