इस दोहे के माध्यम से बिहारी लाल जी श्री कृष्ण के साथ विराजमान होने वाली श्रृंगार की अधिष्ठात्री देवी राधिका जी की स्तुति करते हुए उनसे अपने कष्टों को दूर करने का आह्वान करते हैं। वह कहते हैं कि जिनकी शरीर की एक झलक अर्थात राधा रानी के शरीर की परछाई को देख कर मेरे आराध्य श्री कृष्ण परम आनंदित हो जाते हैं। ऐसी चतुर अर्थात अपने भक्तों का कष्ट दूर करने में परम कुशल राधा जी मेरे सारे संसारिक दुखों को दूर कर सभी बाधाओं का निवारण करें।
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