किसी ने ख़त मुझको लिखा
ख़त में मेरा नाम लिखा है
अपने दिल का हाल लिखा
छुप छुप कर मुझको देखा करें
तभी बागों में, कभी सड़कों पर
कभी बाजारों में, कभी नदी किनारे
हर पल अपनी नज़रें मुझ पर रखती
कितना प्यार है वो मुझको करती
अपने ख़त के माध्यम से मुझको कहती
पर ख़त में अपना नाम ना लिखती
न जाने कौन है वो हसीना
जो मुझ पर इतना मरती है
©Prabhat Kumar
#प्रभात