"वह कौन रोता है इतिहास के अध्याय पर "..!!
जहां तक इस प्रश्न के जवाब...उसी कमरे में बैठे लोगों से ली जा सकती हैं।
क्यों कि, उसके आत्मा के गाढ़े कभी खुल ही नहीं पाते हैं। रात ऐसा लगता है .. दीवाली हो रही है। ...
एक नुतन श्रृंगार (भाग 2)
__ देव ऋषि मान
©Dev Rishi
कविता कोश