//!संयम //
संस्कृति का मूल, खुशियों का आधार है संयम,
सुख, समृद्धि, शांति और उन्नति का द्वार है संयम,
इंद्रिय, वाणी, मन पर संयम से बनता व्यक्ति महान,
आंवले सी होती इसकी मिठास, ये होता मित्र समान,
संयम के दिव्य प्रकाश से जगमगाता है मानव जीवन,
सौंदर्य है,मूल मंत्र ये जीवन का,उज्जवल करती है मन,
अयथार्थ, अशुद्ध, अपूर्ण है जीवन संयम के अभाव में,
है ये निर्मल जल धारा विकार बह जाता जिसके बहाव में।
©Mili Saha
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