हैं लम्हें याद क्यों अब भी,
हुई मुद्दत कि हम बिछड़े।
किया आजाद भी तुमको,
किए थे जितने वादों से।।
थे देखे ख्वाब जितने भी
उन्हें किए दफन मजारों में।
रहा कुछ भी न "हम" में अब,
अब तो रिहा कर दे मुझे तू अपनी यादों से।।
©Muntazir_Avgt
. "𝓡𝓲𝓱𝓪𝓪𝓲𝓲..."
#meltingdown
#Broken
#alone
#Shayar