कभी-कभी बंधनों को थोड़, टूटना अच्छा लगता है। अपन

"कभी-कभी बंधनों को थोड़, टूटना अच्छा लगता है। अपने विचारों को आकार दे, उड़ना अच्छा लगता है। रोक लगाते रूणी विचारों को, कर्म से पिछे छोड़ना अच्छा लगता है। जीदंगी को जंग समझ, परेशानियों को हराकर जीतना सच्चा लगता है। ©Manmohan SK"

 कभी-कभी  बंधनों को थोड़,
 टूटना अच्छा लगता है।
अपने विचारों को आकार दे,
उड़ना अच्छा लगता है।
रोक लगाते रूणी विचारों को,
 कर्म से पिछे छोड़ना अच्छा लगता है।
जीदंगी को जंग समझ,
परेशानियों को हराकर जीतना सच्चा लगता है।

©Manmohan SK

कभी-कभी बंधनों को थोड़, टूटना अच्छा लगता है। अपने विचारों को आकार दे, उड़ना अच्छा लगता है। रोक लगाते रूणी विचारों को, कर्म से पिछे छोड़ना अच्छा लगता है। जीदंगी को जंग समझ, परेशानियों को हराकर जीतना सच्चा लगता है। ©Manmohan SK

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