जन्म होती *शैलपुत्री*
कौमार्य अवस्था सो *ब्रह्मचारिणी*
चंद्रमा के समान निर्मल सो *चंद्रघंटा*
विवाह के बाद गर्भ धारण सो *कूष्मांडा*
संतान को जन्म देने के बाद वो *स्कन्दमाता*
साधना रत संयम धारण करने के बाद *कात्यायनी*
पति को अकाल मृत्यु से भी वापस लाये सो *कालरात्रि*
सारे संसार के लिए वो उपकारी सो *महागौरी*
अपने संतान को समस्त सिद्धि का आशीष दे परलोक जाति सो *सिद्धिदात्री*
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एक स्त्री के पूरे जीवनचक्र है नवदुर्गा के नौ स्वरूप*
©वैभव जैन
#नवदुर्गा सम नारी