White क्यूँ उदासी की चादर डाले बैठे हो यहाँ कब तलक | हिंदी कविता

"White क्यूँ उदासी की चादर डाले बैठे हो यहाँ कब तलक यूँ तन्हा तन्हा लम्हा गुजरोगे..? अरे छोड़ो अभी से दुनियाँ जहां की फ़िक्र तनिक बिखेर चेहरे पर बेवजह की मुस्कान मायूसीयत क्या स्याह रात की बदली ना छटे तो कहना...!! ©Shipra Pandey ''Jagriti'"

 White क्यूँ उदासी की चादर डाले बैठे हो यहाँ
कब तलक यूँ तन्हा तन्हा लम्हा गुजरोगे..? 
अरे छोड़ो अभी से दुनियाँ जहां की फ़िक्र 
तनिक बिखेर चेहरे पर बेवजह की मुस्कान
मायूसीयत क्या स्याह रात की बदली ना छटे तो कहना...!!

©Shipra Pandey ''Jagriti'

White क्यूँ उदासी की चादर डाले बैठे हो यहाँ कब तलक यूँ तन्हा तन्हा लम्हा गुजरोगे..? अरे छोड़ो अभी से दुनियाँ जहां की फ़िक्र तनिक बिखेर चेहरे पर बेवजह की मुस्कान मायूसीयत क्या स्याह रात की बदली ना छटे तो कहना...!! ©Shipra Pandey ''Jagriti'

#sad_qoute

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