दोस्तों जिस प्रकार हम सब के घर मे भोजन बनता है, तो संस्कारी परिवारों मे अब भी प्रथम रोटी 'गाय' के नाम की ही बनती है, हालांकि जिनके यहाँ ऐसा नहीं होता, उनसे मेरा कोई विरोध नहीं है ये तो अपनी अपनी आस्था की बात है.. मुझे सब पशु मनुष्य जाति के सहजीवी ही नजर आते हैं, कुदरत ने हम सबको बनाया है, हमे "सह-अस्तित्व" अर्थात co existence की अवधारणा को रूचिपूर्वक जानने की आवश्यकता मात्र है