कुछ पल और ठहर जाओ ना,कम से कम इस बारिश के रुक जाने तक ही रुक जाओ, इस बारिश के साथ चले जाना, रोज कहां देखने मिलता है ये खुशनुमा मौसम साथ-साथ, ठहरे रहो और देखो बारिश की इन छम-छम करती बूंदो को इन्हें कितनी जल्दी होती हैं ना मिट्टी से मिलने की? कैसे ये उनसे मिलते ही उनमे समाँ जाती है❤ हमेशा-हमेशा के लिए और फिर रह जाती है उन्ही में उन्ही की हो कर मैं चाहती हूँ, हमारी आखिरी मुलाकात हो, बिल्कुल
"बारिश और मिट्टी" की तरह जो
बस................
आखिरी हो❤
श्वेता सिंह
11.06.21