मैं नारी हूँ चीर हरण हुई थी जिसकी मैं वो द्रोपदी | हिंदी शायरी

"मैं नारी हूँ चीर हरण हुई थी जिसकी मैं वो द्रोपदी नहीं, मैं आज की स्त्री हूं कोई सती नहीं, तुम्हें अग्नि परीक्षा दू वो सीता नहीं, किसी की उंगली उठे और उठने दूं मैं इतनी भी नारी अवला नहीं ©T.Raj Anand (Poetess)"

 मैं नारी हूँ चीर हरण हुई थी जिसकी 
मैं वो द्रोपदी नहीं,
मैं आज की स्त्री हूं 
कोई सती नहीं,
तुम्हें अग्नि परीक्षा दू वो सीता नहीं,
किसी की उंगली उठे और उठने दूं
मैं इतनी भी नारी अवला नहीं

©T.Raj Anand (Poetess)

मैं नारी हूँ चीर हरण हुई थी जिसकी मैं वो द्रोपदी नहीं, मैं आज की स्त्री हूं कोई सती नहीं, तुम्हें अग्नि परीक्षा दू वो सीता नहीं, किसी की उंगली उठे और उठने दूं मैं इतनी भी नारी अवला नहीं ©T.Raj Anand (Poetess)

#मैं नारी हूं

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