मैं भी बड़ा पागल हूँ जानें क्या-क्या चाहता हूँ हर | हिंदी शायरी

"मैं भी बड़ा पागल हूँ जानें क्या-क्या चाहता हूँ हर सुबह उसके हाथ की चाय चाहता हूँ जो परिंदा हो गया है किसी और के घर का मैं उसे अपने घर का हिस्सेदार चाहता हूँ ©Kammal Kaant Joshii"

 मैं भी बड़ा पागल हूँ जानें क्या-क्या चाहता हूँ 
हर सुबह उसके हाथ की चाय चाहता हूँ
जो परिंदा हो गया है किसी और के घर का
मैं उसे अपने घर का हिस्सेदार चाहता हूँ

©Kammal Kaant Joshii

मैं भी बड़ा पागल हूँ जानें क्या-क्या चाहता हूँ हर सुबह उसके हाथ की चाय चाहता हूँ जो परिंदा हो गया है किसी और के घर का मैं उसे अपने घर का हिस्सेदार चाहता हूँ ©Kammal Kaant Joshii

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