क्या बनाने आये थे क्या बना बैठे,
कहीं मन्दिर बना बैठे, कहीं मस्जिद बना बैठे।
हमसे तो अच्छी है जात परिंदों की,
कभी मंदिर पर जा बैठे, कभी मस्जिद पर जा बैठे।।
क्या बनाने आये थे क्या बना बैठे,
कहीं मन्दिर बना बैठे, कहीं मस्जिद बना बैठे।
हमसे तो अच्छी है जात परिंदों की,
कभी मंदिर पर जा बैठे, कभी मस्जिद पर जा बैठे।।
©Er VKB Shayar
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