अपने ही सवाल से मुकर गया हूँ मैं,
सबकी नज़र से उतर गया हूँ मैं,
पूछो मत मेरे समय की दास्तान,
ऐसा वक्त हूँ जो गुज़र गया हूँ मैं,
खायी है दोस्ती में चोंटे इतनी कि,
दोस्ती के नाम से डर गया हूँ मैं,
टूटा हूँ कई बार बिखर कर आईने की तरह,
अब तो गिर गिर कर सम्भल गया हूँ मै
दुनियाँ ने तोड़ा मेरा विश्वास,
इल्ज़ाम भी मुझी पर है की
बदल गया हूँ मैं।
©Sumit Khanna
#WoRaat बदल गया हूँ मैं