पूछूंगी ये कभी वक़्त मिले जो तुम्हें , गर मैं रूठी | हिंदी Shayari

"पूछूंगी ये कभी वक़्त मिले जो तुम्हें , गर मैं रूठी थी तो तुमने मनाया क्यों नहीं? असर क्या हि होता मेरे अश्कों का , पर मैं रोईथी तो तुमने हसाया क्यों नहीं? हर बार बताती रही जो चाहे मांगलो , बारी आयी हक़ जताने की तुमने हक़ जताया क्यों नहीं? क्या तुम्हें मेरे भीतर की थर्थराहट महसूस नहीं हुई , जो हुई , तो गले से लगाया क्यों नहीं? तुमतो कहते थे सुलझा दूंगा यु हीं तुम्हें, मैं उलझ रही थी तो तुमने सुलझाया क्यों नहीं ? और दूर दूर से रहने लगे हो , क्या मन भर गया है अब मुझसे ? जो भर गया तो बताया क्यों नहीं? ©आँचल"

 पूछूंगी ये कभी वक़्त मिले जो तुम्हें ,
गर मैं रूठी थी तो तुमने मनाया क्यों नहीं? 

असर क्या हि होता मेरे अश्कों का ,
पर मैं रोईथी तो तुमने हसाया क्यों नहीं? 

हर बार बताती रही जो चाहे मांगलो ,
बारी आयी हक़ जताने की तुमने हक़ जताया क्यों नहीं? 

क्या तुम्हें मेरे भीतर की थर्थराहट महसूस नहीं हुई ,
जो हुई , तो गले से लगाया क्यों नहीं?  

तुमतो कहते थे सुलझा दूंगा यु हीं तुम्हें, 
मैं उलझ रही थी तो तुमने सुलझाया क्यों नहीं ?

और दूर दूर से रहने लगे हो ,
क्या मन भर गया है अब मुझसे ?
जो भर गया तो बताया क्यों नहीं?

©आँचल

पूछूंगी ये कभी वक़्त मिले जो तुम्हें , गर मैं रूठी थी तो तुमने मनाया क्यों नहीं? असर क्या हि होता मेरे अश्कों का , पर मैं रोईथी तो तुमने हसाया क्यों नहीं? हर बार बताती रही जो चाहे मांगलो , बारी आयी हक़ जताने की तुमने हक़ जताया क्यों नहीं? क्या तुम्हें मेरे भीतर की थर्थराहट महसूस नहीं हुई , जो हुई , तो गले से लगाया क्यों नहीं? तुमतो कहते थे सुलझा दूंगा यु हीं तुम्हें, मैं उलझ रही थी तो तुमने सुलझाया क्यों नहीं ? और दूर दूर से रहने लगे हो , क्या मन भर गया है अब मुझसे ? जो भर गया तो बताया क्यों नहीं? ©आँचल

क्यों नहीं ❓


Pyare ji Prashant Shakun "कातिब" "सीमा"अमन सिंह @An_se_Anshuman @Ana pandey

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