नारी कैसी हो? "स्वाभिमान से भरी हुई, जो संस्कार से | हिंदी कविता

"नारी कैसी हो? "स्वाभिमान से भरी हुई, जो संस्कार से चलती हो। जन सेवा की प्रहरी हो जो, ज्योति पुँज बन जलती हो।। जिसको आती नहीं जरा भी, ठकुर सुहाती भाषा हो। जन सेवा, जो करती जाए यही जिसकी अभिलाषा हो।। उसे जो छेड़े जल जाए वो, दबी हुई चिंगारी हो। फौलादी अरमान समेटे, भारत माँ की प्यारी हो।। ©Ambika Jha "

नारी कैसी हो? "स्वाभिमान से भरी हुई, जो संस्कार से चलती हो। जन सेवा की प्रहरी हो जो, ज्योति पुँज बन जलती हो।। जिसको आती नहीं जरा भी, ठकुर सुहाती भाषा हो। जन सेवा, जो करती जाए यही जिसकी अभिलाषा हो।। उसे जो छेड़े जल जाए वो, दबी हुई चिंगारी हो। फौलादी अरमान समेटे, भारत माँ की प्यारी हो।। ©Ambika Jha

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