White दस दिन के दस धर्म।
सिखाते है कैसे काटे कर्म।।
जीवन के चक्र भंवर से।
कैसे जाये भव से तर।।
क्या रखा है,जीवन में।
रे मानव स्व कल्याण कर।।
कब तक रहेंगे जीवन में।
हम खुद को संवार कर ।।
पुण्य कर्म कमा, क्यू ना जीले।
अपना आत्मकल्याण कर।।
पाप कमाते कितना हम।
मान अहंकार में डूब कर।
बुरे के साथ बुरा करके हम।
क्या पा लेंगे सत धर्म कर।।
मन में क्षमादान के भाव रख।
मांग क्षमा तू सत्य धर्म कर।।
ना रख बैर,न रख अहम।
जिसे तू,जो तुझे पसंद नही।
ना बैर,ना प्रेम व्यबाहर कर।।
मांग ले क्षमा उससे भी हाथ जोड़कर।
मन को अपने तू बोझ से हल्का कर।।
साधना अपनी पूर्णकर खुद को तपाकर।
तोड़ दे अहंकार सारे उत्तम क्षमा मांगकर।।
©chahat
दस धर्म......