"अपनों के होने के बाद भी
अपनी मौजूदगी का एहसास दिलाने से बेहतर है
की कोई हो ही ना।
कम से कम इस बात की तस्सली रहेगी
की "कोई है नही"।
ये नाममात्र के रिश्ते ना हो तो ही बेहतर है।"
अपनों के होने के बाद भी
अपनी मौजूदगी का एहसास दिलाने से बेहतर है
की कोई हो ही ना।
कम से कम इस बात की तस्सली रहेगी
की "कोई है नही"।
ये नाममात्र के रिश्ते ना हो तो ही बेहतर है।