सड़क सड़क से टूट कर जैसे गली निकलती है। जहां | हिंदी Shayari Video

"सड़क सड़क से टूट कर जैसे गली निकलती है। जहां से फूटता हूँ मैं कली निकलती है कभी इक उम्र तक कुछ भी समझ नही आता इक उम्र बाद वो ग़लती सही निकलती है कोई शिरी अगर हाथों की लकीरों में हो किसी फ़रहाद के हाथों नदी निकलती है जहाँ से छुप के छुपा के निकलने थे कुछ पल वही से रोती-बिलखती सदी निकलती है ©Raaj Pandit "

सड़क सड़क से टूट कर जैसे गली निकलती है। जहां से फूटता हूँ मैं कली निकलती है कभी इक उम्र तक कुछ भी समझ नही आता इक उम्र बाद वो ग़लती सही निकलती है कोई शिरी अगर हाथों की लकीरों में हो किसी फ़रहाद के हाथों नदी निकलती है जहाँ से छुप के छुपा के निकलने थे कुछ पल वही से रोती-बिलखती सदी निकलती है ©Raaj Pandit

सड़क से गली...........

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