मज़बूर गरीबी ऐसी ही है साहब, वो कपडा, तन ढकने के लिए पहनता है, जमाने मे क्या चल रहा है, उसे अब फर्क ही नही पढ़ता। Quotes, Shayari, Story, Poem, Jokes, Memes On Nojoto