"हाथों की लकीरों से तू क्यों अपना तकदर नापता है पा लेगा सब कुछ तू अगर तेरा मां से वास्ता है मगर यह दुनिया जालिम बहुत है मेरे भाई मगर यह ज़ालिम बहुत हैँ मेरे भाई
मगर तुझे खुद पर विश्वास है तो तू पूरी कायनात पलट सकता है"
हाथों की लकीरों से तू क्यों अपना तकदर नापता है पा लेगा सब कुछ तू अगर तेरा मां से वास्ता है मगर यह दुनिया जालिम बहुत है मेरे भाई मगर यह ज़ालिम बहुत हैँ मेरे भाई
मगर तुझे खुद पर विश्वास है तो तू पूरी कायनात पलट सकता है