मेरा इक दिल अज़ीज़ मित्र है
जो सचमुच इत्र है
तू कहता है मैंने तेरे जीवन के उन क्षणों में
साथ दिया जब कोई साथ नहीं था तेरे
पर हक़ीक़त ये है मैं महज़ माध्यम हूँ सबकुछ
वो ऊपर वाले कि मर्ज़ी से होता है
पर मैं भी सीखता हूँ तुझसे बहुत कुछ
ज़िंदगी के पथरीले रास्तों में चलना कैसे है
मौन धारण करते हुए आगे बढ़ना कैसे है
तेरी बात को अनसुना करने के नतीजे से वाकिफ़ हो गया
अब तेरा जीत और बदलाव लाएगा क्योंकि
दुनिया और अपनों का रंग काला से अधिक काला हो गया
©Jitendra VIJAYSHRI Pandey "JEET "
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