खड़े खड़े क्या सोचता है ज़िन्दगी में चलते जाना है, च

"खड़े खड़े क्या सोचता है ज़िन्दगी में चलते जाना है, चाहे कदम लड़खड़ाए आगे बढ़ते जाना है , राहों में आएंगे कांटे अनेक उनको भी तुझे अपनाना है , कांटो भरे रास्तो से गुज़र कर तुझे तेरा मुकाम पाना है , हंसते मुस्कुराते हुए इस ज़िन्दगी को बिताना है, ज़मीन पे रहके आसमान की ऊंचाइयों को छू जाना है, अपने मिलेंगे हर राह में तुझे पर कोई न साथ निभाना है, संघर्ष भरे इस जीवन का मूल्य तुझे अकेले ही चुकाना है , हाथों की लकीरों पर क्या भरोसा करना तुझे तेरा नसीब खुद बनाना है । खड़े खड़े क्या सोचता है ज़िन्दगी में चलते जाना है, चलते जाना है ,चलते जाना है | ©Udit Vashistha"

 खड़े खड़े क्या सोचता है ज़िन्दगी में चलते जाना है,

चाहे कदम लड़खड़ाए आगे बढ़ते जाना है ,
राहों में आएंगे कांटे अनेक उनको भी तुझे अपनाना है ,
कांटो भरे रास्तो से गुज़र कर तुझे तेरा मुकाम पाना है ,

हंसते मुस्कुराते हुए इस ज़िन्दगी को बिताना है,
ज़मीन पे रहके आसमान की ऊंचाइयों को छू जाना है,
अपने मिलेंगे हर राह में तुझे पर कोई न साथ निभाना है,

संघर्ष भरे इस जीवन का मूल्य तुझे अकेले ही चुकाना है ,
हाथों की लकीरों पर क्या भरोसा करना तुझे तेरा नसीब खुद बनाना है ।

खड़े खड़े क्या सोचता है ज़िन्दगी में चलते जाना है,
चलते जाना है ,चलते जाना है |

©Udit Vashistha

खड़े खड़े क्या सोचता है ज़िन्दगी में चलते जाना है, चाहे कदम लड़खड़ाए आगे बढ़ते जाना है , राहों में आएंगे कांटे अनेक उनको भी तुझे अपनाना है , कांटो भरे रास्तो से गुज़र कर तुझे तेरा मुकाम पाना है , हंसते मुस्कुराते हुए इस ज़िन्दगी को बिताना है, ज़मीन पे रहके आसमान की ऊंचाइयों को छू जाना है, अपने मिलेंगे हर राह में तुझे पर कोई न साथ निभाना है, संघर्ष भरे इस जीवन का मूल्य तुझे अकेले ही चुकाना है , हाथों की लकीरों पर क्या भरोसा करना तुझे तेरा नसीब खुद बनाना है । खड़े खड़े क्या सोचता है ज़िन्दगी में चलते जाना है, चलते जाना है ,चलते जाना है | ©Udit Vashistha

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