गुजरते हुए हर लम्हे से सवाल करती हूं।
गुजरते हुए हर लम्हे से यही सवाल करती हूं।
मैं तुम्हारे दिए धोखे से हर रोज मरती हूं।
इतना कुछ सहा हैं कि खुदसे ही डरती हूं,
आये दिन मै कभी न कभी अवसाद से घिरती हूं।
टूटकर बिखरते हुए हर रोज चक्कर खाके गिरती हूं।
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