स्वीकार क्यों नहीं करते दुखो के बाजार मै हमारा बच | हिंदी Poetry Video

"स्वीकार क्यों नहीं करते दुखो के बाजार मै हमारा बचपन गुजरा है जिंदगी के हर दर्द को बहुत करीब से मासूस किया है जिंदिगी के हर उस मंजर से निकली हु जहाँ से पार् होना नामुमकिन सा था आंसू पोंछने वाला कोई नही था खुद हि रो कर चुप कर जाया करती थी मगर जिंदगी ने हर चुनौतियों को...... स्वीकार करना सिख लिया था ©Soniya baghari "

स्वीकार क्यों नहीं करते दुखो के बाजार मै हमारा बचपन गुजरा है जिंदगी के हर दर्द को बहुत करीब से मासूस किया है जिंदिगी के हर उस मंजर से निकली हु जहाँ से पार् होना नामुमकिन सा था आंसू पोंछने वाला कोई नही था खुद हि रो कर चुप कर जाया करती थी मगर जिंदगी ने हर चुनौतियों को...... स्वीकार करना सिख लिया था ©Soniya baghari

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