जो कभी मिल ना सका उसकी चाह रखता हूं। शक्ल बुरी और

"जो कभी मिल ना सका उसकी चाह रखता हूं। शक्ल बुरी और लालची सा दिखता हूं। रात देर तक जागता हूं,अंधेरे में चांद को तकता हूं।"

 जो कभी मिल ना सका उसकी चाह रखता हूं।
शक्ल बुरी और लालची सा दिखता हूं।
रात देर तक जागता हूं,अंधेरे में चांद को तकता हूं।

जो कभी मिल ना सका उसकी चाह रखता हूं। शक्ल बुरी और लालची सा दिखता हूं। रात देर तक जागता हूं,अंधेरे में चांद को तकता हूं।

#LateNight

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