तुम्हारे संग लिपट रोये, मेरे दिल को सुकूं आया।
ना पूंछो कि तुम्हारे संग रोने से ही क्यूँ आया।
चली आई कयामत भी फकत तुझसे बिछड़ने से।
मगर मत पूछ महफ़िल से तेरे उठ कर मैं क्यूँ आया।
मोहब्बत हो या उल्फत हो या चाहत हो फर्क़ क्या है।
सभी आए समझ मुझको,मेरे दिल मे जो तू आया।
भुलाना है भुला देंगे तेरे संग बीती रातों को।
मगर क्यूँ जानना तुझको कि ख्वाबों में तू क्यूँ आया।
Preeti_9220
©काव्यामृत कोष
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