आंगन का पहला कदम ... पता नही कब आखरी कदम बन के विदा हो जाता है,
पहला कदम खुशी में भावुक कर देता है तो आखरी कदम गम में रुला जाता है,
एक फूल ....जो खिला था किसी के बगीचे में
जिसे संवारा था माली (पिता) ने हर मौसम में...
आखिर में उसे अपना बाग(मायका) छोड़ किसी और गुलिस्तान(ससुराल) में सजा दिया जाता है ।
मेरी कलम से
प्यारा बिरजू बेटी का पहला कदम 😊
आंगन का पहला कदम ... पता नही कब आखरी कदम बन के विदा हो जाता है,
पहला कदम खुशी में भावुक कर देता है तो आखरी कदम गम में रुला जाता है,
एक फूल ....जो खिला था किसी के बगीचे में
जिसे संवारा था माली (पिता) ने हर मौसम में...
आखिर में उसे अपना बाग(मायका) छोड़ किसी और गुलिस्तान(ससुराल) में सजा दिया जाता है ।