मैं अपना हर गम भूल जाता हूं
जब किसी को हंसते हुए देखता हु
मैं देखना चाहता हु खुश ये जहां
सभी हंसे सभी गायें
न हो किसी के सर पे गमों के साये
कोई जिम्मेदारी के बोझ के तले न दबे
सब सबके साथ अपने कदम को मिलाकर चलें
कभी किसी की जरूरत पर किसी का साथ देने में
मिले खुशी हर इंसान को हर एक का साथ देने में
न हो कोई हिचकिचाहट किसी को साथ लेने में
©krishna Kanha
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