हिमगिरी से उतरी उत्कल गंगा। धरा की आन तिरंगा,वीरो | हिंदी शायरी Video

"हिमगिरी से उतरी उत्कल गंगा। धरा की आन तिरंगा,वीरो की शान तिरंगा। हिन्द जनो की -2 जान तिरंगा। --'------------------------------------------------------ चहूं ओर शिव धाम बसे है। सिय संग श्रीराम बसे है । यमुना के तट पर रास रचाते-2, राधे-रमन घनश्याम बसे है। किस में है -2 जो ले तो से पंगा । धरा की आन तिरंगा । --------------------------------------------------------- उत्तर दिशा में गिरिराज है साजे । दखण दिशा में सिंधुराज विराजे । षडॠतुए तेरी आरती उतारे, दशोदिशा में तेरी नौपत वाजे । तेरे ही खातिर-2 करते है दंगा । धरा की आन तिरंगा। ----------------'---------------------------------------- सीमा पर जो लाल खङे है । अंतिम क्षण तक अरि से अङे। मुण्ड विहीन रुण्ड लङने लगे तो, बैरि जान के लाले पङे है । तेरी रक्षा में -2 करते जंगा। धरा की आन तिरंगा । ©Anand Ji Mayura Ji "

हिमगिरी से उतरी उत्कल गंगा। धरा की आन तिरंगा,वीरो की शान तिरंगा। हिन्द जनो की -2 जान तिरंगा। --'------------------------------------------------------ चहूं ओर शिव धाम बसे है। सिय संग श्रीराम बसे है । यमुना के तट पर रास रचाते-2, राधे-रमन घनश्याम बसे है। किस में है -2 जो ले तो से पंगा । धरा की आन तिरंगा । --------------------------------------------------------- उत्तर दिशा में गिरिराज है साजे । दखण दिशा में सिंधुराज विराजे । षडॠतुए तेरी आरती उतारे, दशोदिशा में तेरी नौपत वाजे । तेरे ही खातिर-2 करते है दंगा । धरा की आन तिरंगा। ----------------'---------------------------------------- सीमा पर जो लाल खङे है । अंतिम क्षण तक अरि से अङे। मुण्ड विहीन रुण्ड लङने लगे तो, बैरि जान के लाले पङे है । तेरी रक्षा में -2 करते जंगा। धरा की आन तिरंगा । ©Anand Ji Mayura Ji

आनंद के रंग

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