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मैने गढ़ लिया है जीवन का नया स्वप्न
तुम्हारे या संसार की कल्पना से
बिल्कुल अलग
सच भी करूंगी उसे एक दिन
तुम्हारे कथ्य को सत्य या असत्य करने के लिए नहीं
न ही बदलने के लिए समाज के नजरिए को
बल्कि जीवंत रखने के लिए
अंतर की कविता को
निखारने के लिए प्राणों के दर्पण को
एक दिन कमांऊंगी मैं बहुत सारे पैसे
संहेजूंगी क ई सारी सुंदर डायरियां
बहुत सी किताबें
बनाऊंगी एक ऐसा घर
जिसमें होंगे मेरे सारे दोस्त!
और उनमें रहेंगे शामिल
मेरे पसंदीदा सारे पौधे
सारे वृक्ष!
सभी क्यारियों में लहराऊंगी मै ही
जल की स्वछंद धारा में
हर बार वसंत में मैं खिलूंगी
सुंदर गुलमोहर के फूलों की तरह
और वसंत के अंतिम दिनों में
रखूंगी सेमल के फूलों की तरह धैर्य
मुस्कुराऊंगी अपनी वीरानी के क्षणों में भी
या फिर रहूंगी भिन्डी के अद्भुत फूलों
के रूप में
फलित करूँगी जीवन का
सुंदर उदाहरण
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©*#_@_#*
#स्वप्न