रोज़ सवेरे उठता हूॅं मैं लेकर नज़्म सारीकों का, पता नहीं ख़त आ जाए कब निष्ठुर-क्रूर निमिषों का। क्षण देखा इन बगिया में कि साख-फूल हि ज्यादा हैं झपक उठाया पलकें तो ये बगिया हि अब आधा है। ..... . ©Piyush #RaysOfHope Quotes, Shayari, Story, Poem, Jokes, Memes On Nojoto