घर से ' बुजुर्ग ' क्या गए
पुराना ज़माना चला गया
धीरज, धर्म , प्रेम - प्यार का
वो सुनहरा खज़ाना चला गया
समय की रेत कब तक मुठ्ठी में रुकी है किसी के
इसलिए, शायर ने सच की कहा है की ...
" ज़माने पर भरोसा करने वालो
भरोसे का ज़माना चला गया "
©नि:शब्द अमित शर्मा
#nojohindi