दरवाज़ा मेरे दिल का दरवाज़ा,
देखता था उसकी राह,
महसूस करता था उसके कदमों के स्पर्श
थाम के अपने खुलने बंद होने के शोर को
करता था उसका इंतजार....
आज नही तो कल,
कभी न कभी
किसी न किसी पल
आएगा मेरा यार और रखेगा अपने स्मृतिशेष कदमों में मेरे अंदर
अब ये इंतज़ार खत्म कर दो अये मेरे ख़्वाजा....
वो आ जाये अब और बंद कर दे मेरे दिल का जन्मो से खुला ये दरवाज़ा....
©Rj Varsha
#WForWriters