भरी खामोशी मैं भी चीखने का मन था .....
वो फूल सुखा पड़ा गुलदान मैं उसे सीचने का मन था...
आए बुरे ख्यालात उसे लेकर, मगर उसे देखने का मन था ...
था मन के उसे गले लगाकर मैं ये जस्बात कह दू।।
मगर उसके धोखे पर उसे छोड़ने का मन था ....
वो बुरा तो बना मगर मैं केसे कहता वो बात मन की..
उसे जिंदगी से खेलने का मन था ..
मेरा खामोशी मैं चीखने का मन था ।।
©Mr. Shayar
#agni मन था ।। उसे चूम लूं मगर उससे दूर जाने का मन था ।।