शीर्षक: अनमोल समय
सबसे कीमती वक्त हमारा ,
हंसते खेलते निकल गया।
अब पछताने से क्या होगा,
जोशीला उमर निकल गया।।
गुजर गया है जो वक्त हमारा ,
कुछ कर के दिखलाऊंगा ।
निकल गया हूं अब मैं घर से,
कुछ बन कर के ही मैं आऊंगा ।।
निकल गया हूं मैं मंजिल को ,
लेकिन मंजिल मैं तय कर पाऊंगा।
कितना भी मुश्किल आए ,
फिर भी मुश्किल तोड़ के जाऊंगा ।।
मिलेगी मंजिल आश यही है ,
पूरा करके ही मैं आऊंगा ।
रिश्ते नाते सब टूट गए है ,
वक्त बदल कर मैं सबको दिखाऊंगा।।
निकल गया हूं अब मैं घर से,
कुछ बन कर के ही आऊंगा ।।
Hakim khan
©अजनबी
शीर्षक: अनमोल समय
सबसे कीमती वक्त हमारा ,
हंसते खेलते निकल गया।
अब पछताने से क्या होगा,
जोशीला उमर निकल गया।।
गुजर गया है जो वक्त हमारा ,