तुम बढ़कर कुछ भी हो सकती थी दोस्त गुरु सहकर्मी प् | हिंदी कोट्स

"तुम बढ़कर कुछ भी हो सकती थी दोस्त गुरु सहकर्मी प्रेमिका पत्नी मगर घटकर तुम सिर्फ पंक्तियां बनी वो भी एक अधूरी कविता की । ©Dr.Govind Hersal"

 तुम बढ़कर कुछ भी हो सकती थी 
दोस्त 
गुरु
सहकर्मी
प्रेमिका 
पत्नी 
मगर घटकर तुम सिर्फ पंक्तियां बनी 
वो भी एक 
अधूरी कविता की ।

©Dr.Govind Hersal

तुम बढ़कर कुछ भी हो सकती थी दोस्त गुरु सहकर्मी प्रेमिका पत्नी मगर घटकर तुम सिर्फ पंक्तियां बनी वो भी एक अधूरी कविता की । ©Dr.Govind Hersal

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