रात से अपनी लड़ाई है, सदियों से हमे नींद न आई है, | हिंदी शायरी

"रात से अपनी लड़ाई है, सदियों से हमे नींद न आई है, उसकी याद में तड़पते बहुत है , पर हिस्से में मुसाफ़िर के लिखी तन्हाई है। ©Tushar Singh"

 रात से अपनी लड़ाई है,
सदियों से हमे नींद न आई है,
उसकी याद में तड़पते बहुत है ,
पर हिस्से में मुसाफ़िर के लिखी तन्हाई है।

©Tushar Singh

रात से अपनी लड़ाई है, सदियों से हमे नींद न आई है, उसकी याद में तड़पते बहुत है , पर हिस्से में मुसाफ़िर के लिखी तन्हाई है। ©Tushar Singh

#musafir #मुसाफिर

#SunSet

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