कुछ शब्द उनके लिए जो बोलते हैं आज़ादी लाना कौन सा बड़ा काम था ?
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कांटों पे चलके फूल में पैर रखने तक का सफर आसान है क्या,
आज़ादी की हवा महकाना इतना आसान है क्या !
ज़हर को अमृत की तरह पी जाना आसान है क्या,
सारे रिश्ते नाते पीछे छोड़ खुद का बलिदान देना आसान है क्या !
गुलामी तो बहुत चमचों ने की ,
पर वीरों ने जान पे खेलके इस पवित्र भूमि पे आज़ादी का सुगंध जो छिड़काया वो सफर आसान था क्या !
_soumya Ranjan naik
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