"वो खुद को आम बंजारा जो कहने लगे ,
जज़्बातों का खुद से अपने वो सौदा करने लगे ।।
हर मोड़ हर डगर खुद से ही सवाल करने लगे ,
झांक कर अपने अंतर्मन में उन सवालो के जवाब खोजने लगे ।।
जज़्बातों के तराजू में खुद को तोलने लगे,
ख़ानाबदोश वो नज़र आने लगे ।।
खुद को आम बंजारा ये कहने वाले ,
मगर दिल की आवाज़ पर ठहरने लगे ।।
@लेखकRai
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