मर्ज खुद्दारी है मुझे रहमतों की दुआओ ने लूटा है वो | हिंदी शायरी

"मर्ज खुद्दारी है मुझे रहमतों की दुआओ ने लूटा है वो चराग हूँ जिसको इन तेज हवाओं ने लूटा है हाथ मे खंजर आंखों में वही पहला वाला प्यार मैं कत्ल नही हुआ कातिल की अदाओं ने लूटा है करवाते रहे हैं जो मुझसे लाख मन्नते उम्र भर हाँ मुझे उन्ही जमाने के झूठे खुदाओं ने लूटा है उसका शहर वही मुंसिफ रिशु जीत कैसे पाता यारों खुद जुर्म कबूले गए मुझे मेरे अपने गवाहों ने लूटा है Rishansh ©Dr Navneet Sharma"

 मर्ज खुद्दारी है मुझे रहमतों की दुआओ ने लूटा है
वो चराग हूँ जिसको इन तेज हवाओं ने लूटा है

हाथ मे खंजर आंखों में वही पहला वाला प्यार
मैं कत्ल नही हुआ कातिल की अदाओं ने लूटा है

करवाते रहे हैं जो मुझसे लाख मन्नते उम्र भर
हाँ मुझे उन्ही जमाने के झूठे खुदाओं ने लूटा है

उसका शहर वही मुंसिफ रिशु जीत कैसे पाता यारों
खुद जुर्म कबूले गए मुझे मेरे अपने गवाहों ने लूटा है
Rishansh

©Dr Navneet Sharma

मर्ज खुद्दारी है मुझे रहमतों की दुआओ ने लूटा है वो चराग हूँ जिसको इन तेज हवाओं ने लूटा है हाथ मे खंजर आंखों में वही पहला वाला प्यार मैं कत्ल नही हुआ कातिल की अदाओं ने लूटा है करवाते रहे हैं जो मुझसे लाख मन्नते उम्र भर हाँ मुझे उन्ही जमाने के झूठे खुदाओं ने लूटा है उसका शहर वही मुंसिफ रिशु जीत कैसे पाता यारों खुद जुर्म कबूले गए मुझे मेरे अपने गवाहों ने लूटा है Rishansh ©Dr Navneet Sharma

#नवश

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