green-leaves कि मेरी सांसे रुक गई तेरी बाहों में, | हिंदी Poetry

"green-leaves कि मेरी सांसे रुक गई तेरी बाहों में, तो अचरज नहीं अक्सर मंज़िल मिलने पर सभी ठहर जाते हैं। ©योगेंद्र शुक्ला (वियोगी)"

 green-leaves कि मेरी सांसे रुक गई तेरी बाहों में, तो अचरज नहीं
अक्सर मंज़िल मिलने पर सभी ठहर जाते हैं।

©योगेंद्र शुक्ला (वियोगी)

green-leaves कि मेरी सांसे रुक गई तेरी बाहों में, तो अचरज नहीं अक्सर मंज़िल मिलने पर सभी ठहर जाते हैं। ©योगेंद्र शुक्ला (वियोगी)

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