White ख्वाबों कि रौशनी में...
हम खोये थें कई दिनों से....
चंचल मन में हलचल मची थी....
ख्वाबों कि चकाचौंध में मैं गुम थी....
आंखें खुली तो ख्याल आया....
हक़ीक़त से जब नज़र मिलाया....
खाली हथेली और आंखों में पानी पाया....
ख्वाबों में जो महफ़िल सजी थी....
हक़ीक़त में सुनापन साथ खड़ी थी....
ख्वाबों कि रौशनी में नहा कर निकली थी....
आंखें खुली तो दर्द कि मूसलाधार लगी थी....
ढूंढने चलें थें खुशियों का दामन.....
कांटों से आंचल फटे पड़ें थे.....
हंस रही थी हाथों की लकीरें भी....
ख़ून से लथपथ अरमानों को देख कर....
©Purnima vighnajeet
#Sad_shayri